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दिल्ली और दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण

 मैं दिल्ली में पिछले एक साल से रहे रह रही हूं। मुझे अच्छा लगता है क्योंकि यहां मेरे सभी रिश्तेदार हैं और मेरा गांव उत्तराखंड पास में भी हैं और मैं अपने घर जा सकती हूं आराम से।परंतु यहां की सबसे बड़ी समस्या है। ट्रैफिक जाम और प्रदूषण, पिछले एक महीने से यहां का एक AQI इंडेक्स 400 से अधिक है जो की काफी खतरनाक है। और जब मैं घर से बाहर निकलती हूं तो मुझे पूरे फेस को ढकना पड़ता है और डबल मास्क पहनना पड़ता है। अगर मैं यह सब नहीं करती हूं तो चेहरे में जलन और सांस लेने में तकलीफ होती है। और यह समस्या केवल मेरी ही नहीं बल्कि पूरे दिल्ली वालों की ही है। कुछ लोग बोलते हैं कि प्रदूषण का कारण पराली  चलना है तो कुछ लोग बोलते हैं कि दीपावली पर पटाखे फोड़ना और पुरानी गाड़ियों के कारण प्रदूषण हो रहा है। कारण कोई सा भी हो परंतु प्रदूषण के कारण प्रत्येक व्यक्ति को समस्याएं झेलना पड़ रहे हैं। परंतु दीपावली के दिन मैंने देखा कि लोग रात के 2:00 बजे तक पटाखे फोड़ रहे थे और वह भी काफी साउंड वाले और काफी प्रदूषित पटाखे फोड़ रहे थे। और जबकि वह सभी लोग पढ़े-लिखे थे और उन्हें भी पता है कि प्रदूषण हो रहा है फिर भी यह काम वह कर रहे थे बिना शर्म के। पराली जलाने से जो प्रदूषण हो रहा है वह दिल्ली वालों के हाथ में नहीं है। परंतु पटाखे ना फोड़ना तो दिल्ली वालों के हाथ में था फिर भी उन लोगों ने जमकर पटाखे फोड़े। जो लोग ऐसा काम करते हैं, उन्हें अपने परिवार समाज तथा आने वाली पीढियां के बारे में सोचना होगा। प्रदूषण की जिम्मेदारी केवल सरकारों की नहीं है बल्कि प्रत्येक नागरिक की है जो इस देश में रह रहे हैं। अगर आप देश के लिए कुछ करना चाहते हैं तो इसके लिए जरूरी नहीं कि आप आर्मी जॉइन करो या क्रिकेट टीम में शामिल हो जाओ बल्कि छोटे-छोटे काम भी देश को सुरक्षित और कर सकते हैं। अगली बार अगर आप पटाखे फोड़ रहे हो या फिर आप पराली जला रहे हो तो एक बार जरूर सोचना। इससे देश को समाज को परिवार को कोई नुकसान तो नहीं हो रहा है? मुझे उम्मीद है कि आप देश को सुरक्षित करने में अपना योगदान जरूर देंगे। धन्यवाद!

NIDHI MAIKHURI

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